भारत सरकार जून 2025 में क्रिप्टो परिसंपत्तियों के लिए नीति दस्तावेज़ जारी करेगी, जो नियमन के लिए विभिन्न विकल्पों पर प्रकाश डालेगा।
भारत सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी और वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) के लिए एक समर्पित नीति दस्तावेज़ (consultation paper) जून 2025 में जारी करने की योजना बनाई है। इस दस्तावेज़ के माध्यम से सरकार क्रिप्टो परिसंपत्तियों के नियमन के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार करेगी और सार्वजनिक परामर्श के लिए इसे प्रस्तुत करेगी।
🔍 नीति दस्तावेज़ का उद्देश्य
यह नीति दस्तावेज़ क्रिप्टो परिसंपत्तियों के लिए एक व्यापक विनियामक ढांचा तैयार करने की दिशा में पहला कदम होगा। इसके माध्यम से सरकार क्रिप्टो परिसंपत्तियों के संभावित लाभों और जोखिमों का मूल्यांकन करेगी और एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने का प्रयास करेगी।
🌐 वैश्विक रुझानों का प्रभाव
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा क्रिप्टोकरेंसी के समर्थन के बाद वैश्विक स्तर पर डिजिटल मुद्राओं की स्वीकृति बढ़ी है। इस अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य के मद्देनजर, भारत सरकार भी क्रिप्टो परिसंपत्तियों के प्रति अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन कर रही है।
🏛️ नियामक निकायों की भूमिका
भारत में वित्त मंत्रालय के तहत आर्थिक मामलों का विभाग (DEA) इस नीति दस्तावेज़ को तैयार कर रहा है। इसके अलावा, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और वित्तीय खुफिया इकाई (FIU) जैसे नियामक निकाय भी क्रिप्टो परिसंपत्तियों के नियमन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
💰 कराधान और रिपोर्टिंग
वर्तमान में, भारत में क्रिप्टो परिसंपत्तियों पर 30% पूंजीगत लाभ कर और 1% टीडीएस लागू है। हाल ही में, बजट 2025 में सरकार ने क्रिप्टो लेनदेन की रिपोर्टिंग के लिए नई धारा 285BAA पेश की है, जिसके तहत सभी लेनदेन का विवरण सरकार को प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। Business Today+1Financial Times+1Reddit+1Coingape+1
📈 भारतीय क्रिप्टो उद्योग की स्थिति
उच्च कर दरों और सख्त नियमों के कारण, भारत में क्रिप्टो ट्रेडिंग में गिरावट आई है, और कई निवेशक विदेशी एक्सचेंजों की ओर रुख कर रहे हैं। हालांकि, उद्योग के प्रतिनिधि सरकार से करों में कटौती और स्पष्ट नियमों की मांग कर रहे हैं ताकि नवाचार को बढ़ावा मिल सके। Financial Times
🧾 निष्कर्ष
भारत सरकार का यह कदम क्रिप्टो परिसंपत्तियों के लिए एक स्पष्ट और संतुलित विनियामक ढांचा तैयार करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। नीति दस्तावेज़ के माध्यम से सरकार विभिन्न हितधारकों से सुझाव प्राप्त करेगी और एक समावेशी नीति तैयार करेगी जो नवाचार को प्रोत्साहित करते हुए निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।