IAS अफसर Minnu PM की कहानी: पिता की वर्दी से मिली प्रेरणा, क्लर्क की कुर्सी से UPSC तक का सफर
Pathanamthitta, Kerala की बेटी Minnu PM ने रचा इतिहास
केरल के छोटे से गांव पठानमथिट्टा की एक साधारण सी लड़की Minnu PM ने वह कर दिखाया जो लाखों लोग सिर्फ सपना देखते हैं। पिता की असमय मृत्यु के बाद जीवन ने उन्हें एक जिम्मेदारी दी, लेकिन उन्होंने उस जिम्मेदारी को अवसर में बदला। उन्होंने न सिर्फ अपने पिता की विरासत को संभाला, बल्कि उसे और ऊंचाइयों तक पहुंचाया — और आज वह एक IAS अधिकारी बन चुकी हैं।
कहानी की शुरुआत: जब जीवन ने एक नया मोड़ लिया
Minnu के पिता एक ईमानदार पुलिसकर्मी थे। लेकिन एक दिन ड्यूटी के दौरान उनकी असमय मृत्यु हो गई। परिवार के आर्थिक हालात बिगड़ गए। ऐसे कठिन समय में Minnu ने हिम्मत नहीं हारी। वर्ष 2012 में उन्हें “Die-in-Harness” स्कीम के तहत केरल पुलिस विभाग में क्लर्क की नौकरी मिली। यह नौकरी उनके लिए सिर्फ एक नौकरी नहीं थी, बल्कि पिता के अधूरे सपनों को पूरा करने की पहली सीढ़ी थी।
‘यह मेरी नहीं, मेरे पिता की सेवा थी‘ — Minnu PM
जहां अधिकतर लोग सरकारी नौकरी मिलने पर संतुष्ट हो जाते हैं, वहीं Minnu इस क्लर्क की पोस्ट को अपने सपनों की मंज़िल नहीं मानती थीं। उनके अंदर एक आग थी, कुछ बड़ा करने की। उन्हें यह एहसास था कि यह नौकरी उनके पिता की सेवा का विस्तार है, न कि उनका अपना लक्ष्य। यही सोच उन्हें प्रेरित करती रही IAS की कठिन राह पर चलने के लिए।
दिन में फाइलें, रात में किताबें — UPSC की तैयारी की कहानी
Minnu ने अपनी नौकरी को पूरी निष्ठा से निभाया, लेकिन दिल और दिमाग उनके सपने में रमे रहते थे — भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS)। वे दिन में ऑफिस का काम करतीं और रात को घंटों किताबों में डूबी रहतीं। ये वही समय था जब दोस्तों की शादियों, त्योहारों और आराम के क्षणों को उन्होंने दरकिनार कर केवल पढ़ाई को प्राथमिकता दी।
संघर्ष और धैर्य की परीक्षा में खरा उतरना
IAS जैसी कठिन परीक्षा के लिए केवल पढ़ाई ही नहीं, मानसिक दृढ़ता और अनुशासन की भी आवश्यकता होती है। Minnu के लिए यह आसान नहीं था। नौकरी के साथ-साथ पढ़ाई करना, मानसिक थकावट को झेलना, सामाजिक दबाव को नजरअंदाज़ करना — ये सभी चुनौतियाँ उन्होंने चुपचाप झेली और कभी शिकायत नहीं की। उन्होंने साबित किया कि जब इरादे मजबूत हों, तो रास्ते खुद-ब-खुद बनते जाते हैं।
IAS में 150वीं रैंक: Minnu की जीत, पूरे समाज की प्रेरणा
2025 में जब UPSC का परिणाम आया, Minnu ने ऑल इंडिया रैंक 150 हासिल की। यह केवल एक रैंक नहीं थी, यह उनके वर्षों के संघर्ष, धैर्य और समर्पण की जीत थी। एक क्लर्क की कुर्सी से निकलकर देश की शीर्ष प्रशासनिक सेवा में पहुंचना, एक ऐसा सफर है जो लाखों युवाओं के लिए मिसाल बन गया है।
“मेरा सपना नहीं, हमारे पिता का सपना था” — Minnu का भावुक संदेश
परिणाम आने के बाद Minnu ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “यह सफलता सिर्फ मेरी नहीं है। यह मेरे पिता का सपना था, जिसे मैं ने पूरा किया है।” उनके शब्दों में भावनाओं की गहराई थी, और आंखों में संतोष। उन्होंने यह दिखाया कि कोई सपना कितना भी बड़ा क्यों न हो, अगर उसमें दिल लगा हो और मेहनत सच्ची हो, तो उसे पूरा किया जा सकता है।
समाज के लिए संदेश: लड़कियों को मिले सपनों की उड़ान
Minnu PM की कहानी उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा है जो किसी जिम्मेदारी या कठिन परिस्थिति के चलते अपने सपनों से समझौता कर लेती हैं। उन्होंने दिखाया कि परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, हौसलों की उड़ान को कोई रोक नहीं सकता।
Die-in-Harness स्कीम से IAS तक: एक क्रांतिकारी सफर
Die-in-Harness योजना का उद्देश्य होता है परिवार को तत्काल राहत देना, लेकिन Minnu ने इसे एक स्थायी सफलता में बदला। उन्होंने इस स्कीम को केवल सहारा नहीं, एक सीढ़ी बनाया — और उससे देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवा तक का सफर तय किया। यह उन सभी कर्मचारियों और परिवारों के लिए प्रेरणा है जो इस योजना का हिस्सा हैं।